ईरान को तेल के बदले रुपये नहीं, बासमती चावल देगा भारत
भारत जहां ईरान से कच्चा तेल खरीदता है, वहीं ईरान को अनाज, दवा, मशीन आदि निर्यात करता है. समझौते के तहत तेल भुगतान की राशि को यूको बैंक में जमा किया जाएगा.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि ईरान और भारत के बीच हुई इस डील से निर्यातकों को फायदा होगा.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि ईरान और भारत के बीच हुई इस डील से निर्यातकों को फायदा होगा.
अमेरिका द्वारा प्रतिवंध लगाए जाने के बाद भी भारत और ईरान के बीच कारोबार बिना किसी रुकावट से जारी है. भारत और ईरान के बीच भारतीय रुपये में ही लेनदेन पर समझौता हुआ है. यानी भारत कच्चे तेल का भुगतान ईरान को डॉलर में करने के बजाए भारतीय रुपये में ही कर रहा है. लेकिन इस बीच अमेरिका प्रतिबंध से जूझ रहे ईरान के सामने कई संकट खड़े हो गए हैं और उनमें एक प्रमुख है खाद्य संकट. इस समस्या से निजात पाने के लिए ईरान ने बासमती चावल के बदले तेल देने के फैसला किया है. यानी अब भारत को कच्चे तेल की कीमत रुपये की जगह चावल के रूप में अदा करनी होगी. वस्तु विनिमय प्रणाली के तहत दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ है.
कच्चे तेल का भुगतान रुपये में
बीते साल नवंबर में अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे. इस प्रतिबंध के कारण ईरान से तेल खरीदने वाले देशों के सामने ऊर्जा का संकट खड़ा होने का खतरा मंडराने लगा. लेकिन अमेरिका ने इस प्रतिबंध से भारत और 7 अन्य देशों को बाहर रखा था, यानी प्रतिबंध के बाद भी भारत ईरान से कच्चे तेल की खरीद जारी रखने का फैसला हुआ. लेकिन अब समस्या आई कि प्रतिबंध के बाद ईरान को तेल का भुगतान डॉलर में कैसे किया जाए, क्योंकि इंटरनेशनल मार्केट में डॉलर का स्तर भी लगातार गोते खा रहा था. इस समस्या का समाधान यह निकला कि भारत रुपये में ही कच्चे तेल का भुगतान करेगा.
मई, 2018 में अमरीका ने जब ईरान पर प्रतिबंध लगाया था, उस समय यह भी कहा था कि भारत समेत अन्य देश भी ईरान से तेल का आयात बंद कर दें. लेकिन बाद में दबाव पड़ने पर अमेरिका ने भारत समेत 7 देशों को इस प्रतिबंध से मुक्त कर दिया था.
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यूको बैंक में जमा होता है पैसा
भारत जहां ईरान से कच्चा तेल खरीदता है, वहीं वह ईरान को अनाज, दवा, मशीन आदि निर्यात करता है. समझौते के तहत तेल भुगतान की राशि को भारतीय रिफाइनरी कंपनियां, नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी (एनआईओसी) के यूको बैंक खाते में रुपए के रूप में जमा करेंगी. हालांकि भारतीय रुपये ईरान या किसी भी देश के लिए किसी काम के नहीं हैं, इसलिए बाद में यह समझौता हुआ कि यूको बैंक में जमा इस रुपये से भारत से निर्यात होने वाले सामान का भुगतान किया जाएगा.
क्रूड ऑयल के आयात में भारत शीर्ष पर
क्रूड ऑयल के आयात के मामले में भारत शीर्ष स्थान पर है. भारत साऊदी अरब, इराक, नाइजीरिया, वेनेजुएला के साथ ईरान से कच्चा तेल खरीदता है. कुल आयात का 10-12 फीसदी कच्चा तेल भारत ईरान से ही खरीदता है. पिछले वर्ष भारत ने ईरान से क़रीब 7 अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात किया था. इसके अलावा भारत ईरान से बड़ी मात्रा में खेती के लिए फर्टिलाइजर (उर्वरक) भी आयात करता है. ईरान से कच्चे तेल का औसत आयात 5,60,000 बैरल प्रतिदिन का है. लेकिन अमेरिका के प्रतिबंध के बाद से आयात की यह मात्रा घट गई है. 2017 से जनवरी, 2018 के बीच ईरान से भारत ने 18.4 मिलियन टन कच्चा तेल खरीदा है.
ईरान को बासमती का निर्यात
भारत कुल बासमती उत्पादन का 40 फीसदी चावल निर्यात करता है. और इस निर्यात किए जाने वाले देशों में ईरान टॉप देशों में है. मेरठ स्थित बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि भारत ने वर्ष 2015-16 में ईरान को 3723 करोड़ रुपये का 6.95 लाख मिट्रिक टन बासमती निर्यात किया था. जबकि वर्ष 2017-18 में यह निर्यात 8.77 लाख मिट्रिक टन (5829.78 करोड़ रुपये) का हुआ था.
ईरान के साथ तेल के बदले बासमती को लेकर हुई डील के बारे में डॉ. रितेश ने बताया कि यह सौदा निश्चित ही भारत के बासमती किसानों से लेकर निर्यातकों के लिए फायदे का सौदा है.
निर्यातकों को फायदा
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने भी इस डील पर प्रसन्नता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि इससे यह फायदा है कि निर्यातकों को तुरंत भुगतान होगा और भारतीय मुद्रा में होगा. निर्यातकों को निर्यात के बदले मिलने वाले डॉलर को भारतीय मुद्रा में बदलने का झंझट नहीं होगा. और सबसे बड़ा फायदा यह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरते-चढ़ते स्तर का निर्यातकों पर कोई असर नहीं होगा.
08:00 PM IST